GUDDU MUNERI

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लोहड़ी का दिन


[ लोहड़ी ] 


" तुम्हे कल मेरी दुकान पर सुबह आठ बजे आना है " मल्लू जी ने अपने बेटे से कहा ।

  और फिर जब सुबह हुई तो लोहड़ी का दिन था सब लोग अपनी अपनी तैयारियों में लगे हुए थे, इधर मल्लू भी अपनी दुकान खोलने की तैयारी कर सजाने में लगा हुआ था ।

दूसरी ओर से उसका बेटा अयान भी आकर दुकान सजाने में हाथ बटाने लगा ।

    " बेटे ये गजक वहां लगाओ " , " ये वाली इधर और वो वाली उधर " मल्लू जी ने बेटे अयान से कहा । 


कुछ ग्राहक तो सुबह ही आ गए , एक ग्राहक बोला :-

भाई साहब !  " ये गुड़ वाली गजक कैसे किलो दी है ? और ये तिल वाली और ये भी बताओ ये खिल किस भाव है " एक ग्राहक ने पूछा ।

 " गुड वाली २०० रुपए किलो , तिल वाली २४० रुपए और खिल १०० रुपए किलो है मल्लू जी ने जवाब दिया ।


इतने में एक महिला ग्राहक भी आ गई बोलो :-

भाई साहब ! " ये चीनी के खिलौने और बताशे क्या रेट है ?" ,

और " ये गुड़ की रेवड़ी क्या रेट है ? " इस महिला ग्राहक ने पूछा । 


जवाब में मल्लू जी ने कहा :- चीनी के खिलौने १०० रुपए और रेवड़ी १५० रुपए किलो है ।


बेटा अयान भी बार बार सामान को सही तरीके से लगाने में लगा हुआ था जैसे जैसे कुछ सामान खत्म होता वैसे वैसे और सामान बोरो में से निकाल कर लगा देता ।


धीरे धीरे दुकानदारी करते करते मल्लू और उसके बेटे को दोपहर हो गई तथा भूख भी लगने लगी थी 

" अयान !  पहले तू जल्दी खाना खा ले , फिर मैं भी खा लूंगा ।" मल्लू जी ने बेटे से कहा ।


" खा लिया पापा " अयान ने कहा !

" चल ठीक है, आ यहां बैठ ( गल्ले की ओर इशारा करते हुए ) " मल्लू जी ने कहा ! 


बेटे अयान के बाद मल्लू जी ने भी खाना खा लिया और फिर 

दोपहर से लेकर रात तक यही बैठे बैठे दुकानदारी करते रहे

और रात करीब ११ बजे तक जब ग्राहकों के आने में कमी महसूस हुई और फिर सर्द मौसम को देखते हुए दुकान बढ़ाने यानी बंद करने का निर्णय हुआ ।


मल्लू जी अपने कुछ साथियों को आवाज दी :- 

" साबिर भाई , जाकिर भाई , इमरान भाई , सदी भईया को ( दुकान की ओर इशारा करते हुए ) आना जरा, यार दुकान बंद करवा दो , जल्दी हो जायेगी ठंड बहुत है " 


सभी आए और अयान और मल्लू जी सहित सबने दुकान बंद कराने में मदद की ।

दुकान बंद करते करते :- 

ये वाली गुड़ वाली गजक , रेवड़ी , खिल, खिलौने, खोए वाली गजक और पॉपकॉर्न (फुल्ले) ,

एक एक किलो तौल ले घर ले जाने के लिए " 

मल्लू जी ने बेटे अयान से कहा ! 


दुकान बंद होने के पश्चात अलग सें थोड़ी गजक और ली अब चलने की तैयारी हुई तब थोड़ी थोड़ी गजक सभी साथियों ने  खाई और फिर अयान और मल्लू घर को पैदल ही चल दिए 

घर दुकान से लगभग ६० कदम की दूरी पर ही था ।


खट खट! घर के दरवाजे पर दस्तक देते हुए मल्लू जी ने बेटी को आवाज दी :- 

" जैनब ओ जैनब दरवाजा खोल " 

अंदर से जैनब आई और दरवाजा खोला

दरवाजे से अंदर आते ही जैनब की नजर हाथ में लिए सामान पर पड़ी और बोली :- 

" दिखाना पापा क्या क्या है ?"


( जैनब के देखते ही ) मल्लू का एक छोटा बेटा जिशान और था वह भी चला आया, पीछे पीछे अयान की अम्मी भी चली आती हैं


तीनों बहुत खुश होते हैं आज लोहड़ी हैं और पापा दुकान गए थे वहां से लोहड़ी का खाने पीने का सामान ले आए ।


" ये सामान गजक , रेवड़ी इन बच्चों को बांटना और तुम भी ले लेना, तब तक हमे खाना लगाओ भूख भी लगी है, फिर बाहर आग जलाते है जैसे प्रीतो के यहां गेट के पास जल रही है " मल्लू जी ने कहा ! 


कुछ देर बाद अयान और मल्लू जी खाना खाकर फारिग हो गए और ऊपर छत से कुछ लकड़ियां उतार लाए और गली में आग जला ली ।


" अयान चार पांच कुर्सियां भी निकाल ला " 

मल्लू जी ने बेटे से कहा ! 


लगभग गली में सात आठ लोगो ने अपनी अपनी जगह आग लगाई हुई थी 

सब आग के आगे बैठे कोई गजक खा रहा था , कोई रेवड़ी खा रहा था तो कोई मुंगफली चबा रहा था, कोई अपनी लोहड़ी की रस्में निभा रहा था ।


बहुत मजा आ रहा  था ठंड जैसे भाग गई हो 


जिशान, जैनब , अयान सब बाहर आ गए 


अयान की अम्मी गेट पर खड़ी सब देख रही थी अयान कुछ देर बैठा उसके बाद उसे उसके कुछ पड़ोसी दोस्त दिखाई दिए तो वह उधर दूसरी और जल रही आग के पास चला गया ।


कुछ ही देर में मल्लू जी के पड़ोसी भी बाहर आ गए 

और हाथ तापने लगे उसके बाद जब एक और दूसरे पड़ोसी भीं आए तो मल्लू जी ने अयान को आवाज दी :-


 " अयान " 

" अंदर से जरा मुंगफली की गुड़ वाली गजक लाना " ,

" पिन्नी उठा ले पूरी " , मल्लू जी ने अयान की ओर देखते हुए कहा !

ठीक है " अयान ने कहा " 


प्रीतो के घर के आगे तो लाउड स्पीकर भी रखा था जिसमे लोहड़ी के गीत बज रहे थे बड़ा ही मजे से सब लोग नाच गा रहे थे ।


कुछ देर मैं अयान गजक भी ले आया था मल्लू जी ने थोड़ी थोड़ी सबको गजक बाटी।


उधर दूसरी ओर से प्रीतो के यहां से उनका लड़का बंटी भी रेवड़ी ले आया ।


" मल्लू जी लो, रेवड़ी खाओ , अरे लो ना " बंटी ने कहा ! 


अयान भी कुछ गजक अपने दोस्तो के पास ले गया 

अयान की अम्मी और जैनब गेट के पास ही कुर्सी डालकर बैठ गई ।

और कुछ देर बाद भांगड़ा ढोल जैसे गाने तेज अवजनके साथ चले तो सबका ध्यान आकर्षित हो गया यह प्रीतो के बेटे का कमाल था ।


इस तरह लगभग रात डेढ़ - दो बजे तक  खूब लोहड़ी मनाई गई ।


और फिर सब अपने अपने घर को चल दिए मल्लू जी बोले -

" कल मकर संक्रांति है ", " जल्दी उठना है ठीक है "


" ठीक है "  अयान ने कहा । 



.......🌻...…...समाप्त.......🌻....

Writed by - गुड्डू मुनीरी सिकंदराबादी 













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6 Comments

Alka jain

17-Jan-2024 10:33 AM

Nice

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Naresh Sharma "Pachauri"

14-Jan-2024 02:11 PM

अति सुन्दर

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Mohammed urooj khan

14-Jan-2024 01:46 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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